ख्रीस्त में मेरे माता पिताओं और भाई और बहनो
आज नबी इसयस का कथन येसु मसीह के द्वारा पूरा होता है। बीते
कल हम वचन समारोह के द्वारं सुने की इसा मसीह प्रभु और गुरु होते हुवे भी एक सेवक
के काम को करते हैं और अपना प्रेम और नम्रता को प्रकट करते हैं। आज उसी सेवक के बारे नबी इसयस बर्णन करते
हैं।
देखो मेरे सेवक का नाम फैल जायेगा ......... वे उसे अपने आखोंसे देखेंगे। हमरे प्रभु और गुरु,
नबी इसयस का सेवक, ईश्वरीय मेमना के बिषय में बिस्तृत रूप से सुसमाचार में
बर्णन किया गया है।
सुसमाचार में अनेक बिशेस ब्यक्तियों के बिषय में बताया गया है।
जुडास: जो पैसा के प्रलोभन से येसु को पकड़वाया,
येसु को धोखा दिया।
क्या हम भी अपनी स्वार्थ के लिए किसी को धोखा देते हैं?
पतरस : जो ख़ुशी से कुछ भी बोलता है पर समय आने पर उसे पूरा नहीं
करपात। क्या हम भी प्रतिज्ञा करने के बाद
प्रतिज्ञाओं से मुकर जाते हैं तथा गैर
ख्रीस्तीयों की डर से येसु को अस्वीकार करते हैं?
एक झुण्ड के बिषय में भी बताया गया है: जिन्हों ने येसु को क्रूस दिया जय नारा लगाए : यही लोग जब
येसु मसीह जेरूसलम प्रवेश करते हैं तो घोषणा किया
येसु हमारा राजा है। पर आज उनका
निर्णय बदल गय। वे अपना बुद्धि प्रयोग
नहीं करते। इसप्रकार के लोगोंको सदरी में बिना पेन्द्री केर लोटा कहल जाए। क्या हम भी क्या ठीक और गलत बिचार न करके हाँ
में हाँ और ना में ना बोलते है?
अन्नास और प्रधान याजक कैफस : ये वे लोग है जो जीवन में कुछ दायित्वा लेना नहीं चाहते। जो काम इनके द्वारा हो पता,
दूसरोंको दे दिया
पिलातुस: जो अपना सिंहासन को बचने के लिए येसु को प्राण दंड की
आज्ञा देते हैं। और इस फैसले से अपना हाँथ भी धो लेते हैं। क्या हम भी अपने स्वार्थ के लिए किसीके प्रति गलत निर्णय दिए
हैं ?
दो डाकू : हम गलती या पाप करते हैं।
हम पाप में ही मरना पसंद करेंगे या ईश्वर से छमा मांगे।
माता मरिया : जो दुखों की घडी बेटे के साथ चले। क्या हम अपने प्रिय जनोंके दुःख के समय उनके साथ चलते हैं ?
येसु: जिन्होंने एक दूसरे के पाप छमा करने के लिए शिख्या दिए ।। क्रूस काठ में लटकते समय अपने बैरियों को माफ
किये।
आज हम येसु के दुःख भोग की पाठ में ये बिशेस ब्यक्तियों के
बारे सुना। अब हमारा कर्तब्य है हम किसे
अनुशरण करें ? ईश्वर हमें आशीष दें।
आज हम प्रभु येसु मशीह का क्रूस उपासना करने केलिए आए हैं रोमिओ के लिए क्रूस एक अपराध और दंड का चिन्ह था । येसु उसे
हमारे लिए मुक्तिका चिन्ह बनाते हैं।
जब कभी हम क्रूस का चिन्ह बनाते हैं हम तृत्वामए ईश्वर की घोषणा करते हैं। तृत्वामए ईश्वर में पिता:
सृष्टि करता हैं, पुत्र: मुक्ति दाता और उधर करता हैं और पवित्र
आत्मा: हमें पवित्र करता हैं । इसलिए जब कभी हम क्रूस का चिन्ह बनाते हैं तो
ये सरे बातोंको यद् करते बड़े आदर से बनायें।
क्रूस का चिन्ह बनाने समय हम अपना अस्नान
संस्कार को भी यद् करें, क्योंकि उन्ही तृत्वामए ईश्वर के नाम लेते
हुवे पुरोहित हमें कलीसिया में एक नाम देते हैं तथा ईश्वरीय परिवार के एक सदस्य बनजाते है।
जब कभी क्रूस का चिन्ह बनाये हम मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद्
दे क्योंकि येसु प्रभु इसी क्रूस में मनुष्यों के प्रेम के लिए अपना जीवन को
बलिदान चढ़ाये। इसलिए क्रूस का चिन्ह आत्मा
त्याग,
अज्ञाकारिता और प्रेम का चिन्ह है।
ईश्वरीय मेमना, प्रभूयेसु ख्रीस्त के लहू से हमें पाप से मुक्ति मिली है। अतः क्रूस के उपासना में हम सक्रिय भाग लें। Amen
No comments:
Post a Comment